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मेरी कहानी
तुम नहीं आओगे,
तुम नहीं सुनोगे,
ये कहानी जो मैंने लिखी है
पानी की सतह पर,
लहरों की चपलता पर,
ढलते सूरज की सुनहरी धूप पर,
भुल से कभी जो किनारे पर आओ
और मेरी आँखों का समुंदर देखो,
और उसमें दूर तक क्षितिज को ढूँढ़ो,
तो रेत में दबे शंख को निकाल लेना,
उसमें जब लहरों का शोर सुनोगे,
तो मेरी कहानी तुम तक
अथाह अनंत से बहती हुई
सृष्टी के हर कण में मिल जाएगी।
२४ सितंबर २००७
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