अनुभूति में देवी नागरानी की
रचनाएँ नई रचनाओं में-
चमन में
बेताबियों को हद से
मैं खुशी से
सुनते हैं कहाँ
अंजुमन में-
आँधियों के पर
क्या कशिश है
खुशी की हदों
के पार
गिरा हूँ मुँह के बल
डर
ज़माने से रिश्ता
दिल से दिल तक
दीवार-ओ-दर
दोस्तों का है अजब ढब
फिर पहाड़ों से झरना
बढ़ रही है आजकल
बादे बहार आई
मुझे भा गई
मेरे वतन की ख़ुशबू
रियासत जब भी ढहती है
रो दिए
सदा धूप में
सीप में मोती
शोर दिल में
कविताओं में-
भारत देश महान |
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चमन में
चमन में ख़ुद को ख़ारों
से बचाना है बहुत मुश्किल
बिना उलझे गुलों की बू को पाना है बहुत मुश्किल
किसी भी माहरू पर दिल का आना है बहुत आसाँ
किसी के नाज़ नख़रों को उठाना है बहुत मुश्किल
न छोड़ी चोर ने चोरी, न छोड़ा साँप ने डसना
ये फ़ितरत है तो फ़ितरत को बदलना है बहुत मुश्किल
किसी को करके वो बरबाद ख़ुद आबाद हो कैसे
चुरा कर चैन औरों का तो जीना है बहुत मुश्किल
गले में झूठ का पत्थर कुछ अटका इस तरह ‘देवी’
निगलना है बहुत मुशकिल, उगलना है बहुत मुश्किल
१४ फरवरी २०११
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