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अनुभूति में देवी नागरानी की रचनाएँ

नई ग़ज़लों में-
ज़माने से रिश्ता
दोस्तों का है अजब ढब
फिर पहाड़ों से झरना
मुझे भा गई
रियासत जब भी ढहती है

अंजुमन में-
आँधियों के पर
क्या कशिश है
खुशी की हदों के पार
गिरा हूँ मुँह के बल
डर
दिल से दिल तक
दीवार-ओ-दर
बढ़ रही है आजकल
बादे बहार आई
मेरे वतन की ख़ुशबू
रो दिए

सदा धूप मे
सीप में मोती

शोर दिल में

कविताओं में-
भारत देश महान

  दिल से दिल तक

दिल से दिल तक जुड़ी हुई है ग़ज़ल
बीच में उनके पुल बनी है ग़ज़ल

छू ले पत्थर तो वो पिघल जाए
ऐसा जादू भी कर गई है ग़ज़ल

सात रंगों की है धनुष जैसी
स्वप्न-संसार रच रही है ग़ज़ल

सोच को अपनी क्या कहूँ यारो
रतजगे करके कह रही है ग़ज़ल

रूह को देती है सुकूं 'देवी'
ऐसी मीठी-सी रागिनी है ग़ज़ल

२१ जुलाई २००८

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