अनुभूति में देवी नागरानी की
रचनाएँ नई ग़ज़लों में-
ज़माने से रिश्ता
दोस्तों का है अजब ढब
फिर पहाड़ों से झरना
मुझे भा गई
रियासत जब भी ढहती है
अंजुमन में-
आँधियों के पर
क्या कशिश है
खुशी की हदों
के पार
गिरा हूँ मुँह के बल
डर
दिल से दिल तक
दीवार-ओ-दर
बढ़ रही है आजकल
बादे बहार आई
मेरे वतन की ख़ुशबू
रो दिए
सदा धूप में
सीप में मोती
शोर दिल में
कविताओं में-
भारत देश महान |
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भारत देश महान
देश की खातिर जीना शान
देश की खातिर मरना शान
जिससे कम हो शान वतन की
ऐसा कुछ भी न कर नादान।
भारत माँ है जननी मेरी
मैं उसकी लायक संतान
कहो करूँ क्या उसको अर्पण
तन, मन, धन और मेरी जान।
जात न पात, न बोली, मज़हब
भेद न कोई, भाव यहाँ
हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई
भाई भाई एक समान।
"आजादी" अधिकार हमारा
बोल तिलक ने वार किया
उसकी खातिर नेताजी ने
कर दी अपनी जां कुरबान।
सत्य अहिंसा, प्रेम व शांति
गाँधी जी का था फरमान
दुनिया को इक मार्ग दिखाए
देश मेरा यह हिंदुस्तान।
गंगा जिसमें बहती देवी
भारत मेरा देश महान
उस मिट्टी का तिलक सजाऊँ
माथे पर मैं चंदन मान। |