अनुभूति में देवी नागरानी की
रचनाएँ नई ग़ज़लों में-
ज़माने से रिश्ता
दोस्तों का है अजब ढब
फिर पहाड़ों से झरना
मुझे भा गई
रियासत जब भी ढहती है
अंजुमन में-
आँधियों के पर
क्या कशिश है
खुशी की हदों
के पार
गिरा हूँ मुँह के बल
डर
दिल से दिल तक
दीवार-ओ-दर
बढ़ रही है आजकल
बादे बहार आई
मेरे वतन की ख़ुशबू
रो दिए
सदा धूप में
सीप में मोती
शोर दिल में
कविताओं में-
भारत देश महान |
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दोस्तों का है अजब
ढब दोस्तों का है अजब ढब,
दोस्ती के नाम पर
हो रही है दुश्मनी अब, दोस्ती के नाम पर।
इक दिया मैंने जलाया, पर दिया उसने बुझा
सिलसिला कैसा ये या-रब, दोस्ती के नाम पर।
दाम बिन होता है सौदा, दिल का दिल के दर्द से
मिल गया है दिल से दिल जब, दोस्ती के नाम पर।
जो दरारें ज़िंदगी डाले, मिटा देती है मौत
होता रहता है यही सब, दोस्ती के नाम पर।
किसकी बातों का भरोसा हम करें ये सोचिए
धोखे ही धोखे मिलें जब, दोस्ती के नाम पर।
कुछ न कहने में ही अपनी ख़ैरियत समझे हैं हम
ख़ामोशी से हैं सजे लब, दोस्ती के नाम पर।
दिल का सौदा दर्द से होता है देवी किसलिए
हम समझ पाए न ये ढब, दोस्ती के नाम पर।
२ मार्च २००९
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