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       - नव वर्ष के हे सृजनहार

 

नीतिगत दोहे

यारी सांची हो अगर, कर लो डाउनलोड ।
खोटी यारी ना चले, करें इसे अपहोल्ड।।

नयना रख संजोय मन, सुख दुःख के कुछ नीर।
झरते मोती से लगें, हरते मन की पीर।।

मन के आउट बाक्स में, भरें विनोदी भाव।
रीता इसे न राखिये, भरें दुखों का घाव।।

मदद जहाँ मिलती दिखे, लपक लिजीये आप।
संकोची करता फिरे, निज दुःख का परलाप।।

अपनी वाणी पर सदा, ऐसा कर कंट्रोल।
अनचाहे भी नहिं कभी, निकले कड़वे बोल।।

बैर भाव निंदा सभी, मन से करें इरेज।
ब्राडकास्ट कर सत्य का, जिससे नहीं गुरेज।।

जीवन में चिंता रहे, अगर पहुँच से दूर।
जीवन में अनुभूति तब, सुख की हो भरपूर।।

आहट हम सुन क्रोध की, रखें हमेशा होल्ड।
ऐसा जो नर करत हैं, वही कहाते बोल्ड।।

सुख का संचय कीजिये, दुःख को करो डिलीट।
जीवन का है सार यह, सुंदर और पुनीत।।

झूठ सदा स्विच ऑफ कर, रखना मेरे भाय।
ऑन रहेगा झूठ तो, नर कीमत घट जाय।।

मनवा जिद्दी चाहे जब, लाँघे मेर सुमेर।
जगी नहीं मन चेतना, सुगम राह में देर।।

२६ नवंबर २०१२

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