अनुभूति में
सत्यनारायण सिंह की रचनाएँ-
दोहों में-
आ गया पावन दशहरा
प्रेम दस दोहे
प्रेम दस और दोहे
प्रेम इक्यानवे दोहे
गीतों में-
अमर मधुशाला
कहाँ छिपे चितचोर
स्वतंत्रता दिवस पर
क्षणिकाओं में-
क्षण, सुख-दुख, प्रेम, प्रार्थना
संकलन में-
होली -
होली की संध्या
शुभकामना
गुच्छे भर अमलतास -
सोनहली के सोनपुष्प
जेठ माह की दोपहरी
पिता की तस्वीर -
जीवनदाता
ज्योतिपर्व-
आओ ज्योतिपर्व मनाएँ
दीप का संदेश
दीप प्रकाश
दिवाली दोहे
तेरा मेरा नाता
जग का मेला-
दीदी गौरैया
नया साल-
नव वर्ष का स्वागत करें
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नव वर्ष के हे सृजनहार
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कहाँ छिपे चितचोर
बदरा गरजे
चपला चमके
नभ छाई घटा घनघोर
रिमझिम रिमझिम बदरा बरसे
स्मृतियों का जोर
अंधियारे में डूबी दिशाएं
मन डरपत जैसे चोर
दूर दूर तक बाट न सूझे
ढूँढूँ कहाँ किस ओर
छुपे पखेरू सूना जंगल
बन मोर मचाए शोर
चौपाए सब खड़े चित्रवत
अपने अपने ठौर
इकटक तेरी बाट निहारत
अंखियाँ बनी चकोर
तुम बिन इस जीवन पतंग की
कट गई जैसे डोर
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