स्वीकारो यह नमन हमारा
जीवन के दाता
परम पूज्य है आप हमारे
आप ही भाग्य विधाता
प्रेम सिंधु जो छिपा आप में
हमें देख हरसाता
आँसू बन नयनों से हम पर
सदा प्रेम बरसाता
आशीर्वचन आपका नित ही
पथ प्रशस्त है करता
जीवन के इस नंदनवन में
ढेरों खुशियाँ भरता
तारा आपकी आँखों का
बनना क्यों मुझको भाता
यही एक संबंध हमारा
दृढ़ करता जो नाता
- सत्यनारायण सिंह
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