अनुभूति में
सत्यनारायण सिंह की रचनाएँ-
दोहों में-
आ गया पावन दशहरा
प्रेम दस दोहे
प्रेम दस और दोहे
प्रेम इक्यानवे दोहे
गीतों में-
अमर मधुशाला
कहाँ छिपे चितचोर
स्वतंत्रता दिवस पर
क्षणिकाओं में-
क्षण, सुख-दुख, प्रेम, प्रार्थना
संकलन में-
होली -
होली की संध्या
शुभकामना
गुच्छे भर अमलतास -
सोनहली के सोनपुष्प
जेठ माह की दोपहरी
पिता की तस्वीर -
जीवनदाता
ज्योतिपर्व-
आओ ज्योतिपर्व मनाएँ
दीप का संदेश
दीप प्रकाश
दिवाली दोहे
तेरा मेरा नाता
जग का मेला-
दीदी गौरैया
नया साल-
नव वर्ष का स्वागत करें
-
नव वर्ष के हे सृजनहार
|
|
आ गया पावन दशहरा
फिर हमें संदेश देने
आ गया पावन दशहरा
तम संकटों का हो घनेरा
हो न आकुल मन ये तेरा
संकटों के तम छटेंगें
होगा फिर सुंदर सवेरा
धैर्य का तू ले सहारा
द्वेष हो कितना भी गहरा
हो न कलुषित मन यह तेरा
फिर से टूटे दिल मिलेंगें
होगा जब प्रेमी चितेरा
बन शमी का पात प्यारा
सत्य हो कितना प्रताडित
पर न हो सकता पराजित
रूप उसका और निखरे
जानता है विश्व सारा
बन विजय स्वर्णिम सितारा
|