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द्रविड़ देश में बारिश  

यह बारिशों के लौटने का समय है
आदि योगी की जटाओं को
भिगोकर
मेघों के रथ पर सवार
ये लौट जाना चाहते हैं
शीघ्र अति शीघ्र अपने घर
जैसे लौटते हैं
विद्यालय से बच्चे
प्रतीक्षारत अपनी माँओं के पास

रास्ते भर छुप्पन-छुपाई, पकड़म-पकड़ाई
खेलते हुये
भागते हुये,
कभी सरपट दौड़ते हैं,  
कभी ठहर कर देखने लग जाते हैं
व्योम से धरा का विहंगम दृश्य...  

द्रविड़ देश के किसान
खेतों को कर रहे हैं तैयार
धान की फसल के लिए....
 
बड़ी–बड़ी सींगों वाले बैल
लगा रहे हैं अपना पूरा ज़ोर
धरती की परत को उलटने में
मानो होना चाहते हों उऋण
मानव जाति के किसी कर्ज से

हजारों वर्षों से धरती
मातृत्व भाव से बंधी
बीजों के बदले दे रही है फसल
 
वापस लौटती हुई बारिश  
द्रविड़ देश में धान के खेतों पर
खाली कर जाएगी अपना झोला
जैसे बच्चे अपना बचा हुआ टिफ़िन
घर जाने के पहले ही
खाली कर देते हैं
ताकि माँ को न देना पड़े जवाब

१ जुलाई २०२३

 

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