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उड़ो तुम
उड़ो तुम
उड़ो व्योम के वितान में
पसारो पंख निर्भय
अश्रु धार से
नहीं हटेगी चट्टान
जो है जीवन की राह में
मार्ग अवरुद्ध किये
खुशियों की
गगन की ऊँचाई से
सब कुछ छोटा लगता है
और तुम बड़े हो जाते हो
गुनगुनाओ कि
गुनगुनाने से जन्मता है राग
मिटता है राग
सप्तक के गहन सागर में
जब सब शून्य हो जाता है
अस्तित्व का आधार भी और
होता है, सिर्फ आनंद
बिस्तर की नमकीन चादर को
धुप दिखा कर
फिर टांग दो परदे की तरह
अपने और दुखों के बीच
३ नवंबर २०१४ |