अनुभूति में
दिगंबर नासवा की
रचनाएँ -
नयी रचनाओं में-
उफ तुम भी न
तस्वीर
माँग लेने के लिये
सपने पालने की कोई उम्र नहीं होती
हैंग ओवर
छंदमुक्त में-
डरपोक
प्रगति
प्रश्न
बीसवीं सदी की वसीयत
रिश्ता
गीतों में-
आशा का घोड़ा
क्या मिला सचमुच शिखर
घास उगी
चिलचिलाती धूप है
पलाश की खट्टी
कली
अंजुमन में-
आँखें चार नहीं कर पाता
प्यासी दो साँसें
धूप पीली
सफ़र में
हसीन हादसे का शिकार
संकलन में-
मेरा भारत-
हाथ वीणा नहीं तलवार
देश हमारा-
आज प्रतिदिन
शुभ दीपावली-
इस बार दिवाली पर
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माँग लेने के लिये
कुछ भी माँग लेने के लिए
जानना चाहा कायनात ने
कैसे बनेगा एक लम्हा पूरी ज़िन्दगी
मैंने सादे कागज़ पे लिखा तुम्हारा नाम
डाल दिया ऊपरवाले की नीली पेटी में
तब से घूमता है खुदा मेरे पीछे
सब कुछ दे देने के लिए
सोचता हूँ तुम हो, प्रेम है
और क्या है जो माँग सकूँ उससे
१ फरवरी २०१९
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