अनुभूति में
दिगंबर नासवा की
रचनाएँ -
गीतों में-
आशा का घोड़ा
क्या मिला सचमुच शिखर
घास उगी
चिलचिलाती धूप है
पलाश की खट्टी
कली
अंजुमन में-
आँखें चार नहीं कर पाता
प्यासी दो साँसें
धूप पीली
सफ़र में
हसीन हादसे का शिकार
संकलन में-
मेरा भारत-
हाथ वीणा नहीं तलवार
देश हमारा-
आज प्रतिदिन
शुभ दीपावली-
इस बार दिवाली पर
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क्या मिला सचमुच
शिखर
आशा की आहट का घोड़ा
सरपट दौड़ रहा
सुखमय जीवन-हार मिला
साँसों में महका स्पंदन
मधुमय यौवन भार खिला
नयनों में सागर सनेह का
सपने जोड़ रहा
खिली धूप मधुमास नया
खुले गगन में हल्की हल्की
वर्षा का आभास नया
मन अकुलाया हरी घास पर
झटपट पौड़ रहा
सागर लहरों को बहना है
पृथ्वी को भी कर्म पथिक-सा
इसी तरह चलते रहना है
कौन चितेरा नवल सृष्टि से
राहें मोड़ रहा
२४ सितंबर २०१२
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