अनुभूति में
दिगंबर नासवा की
रचनाएँ -
गीतों में-
आशा का घोड़ा
क्या मिला सचमुच शिखर
घास उगी
चिलचिलाती धूप है
पलाश की खट्टी
कली
अंजुमन में-
आँखें चार नहीं कर पाता
प्यासी दो साँसें
धूप पीली
सफ़र में
हसीन हादसे का शिकार
संकलन में-
मेरा भारत-
हाथ वीणा नहीं तलवार
देश हमारा-
आज प्रतिदिन
शुभ दीपावली-
इस बार दिवाली पर
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सफ़र में
सफ़र में राहगीरों से कभी रंजिश नही रखना
नशेमन हो अगर तिनकों का तो माचिस नहीं रखना
बड़ी मुश्किल से मिलते है ओ रब्बा प्यार के लम्हे
मुहब्बत से भरे दिन रात को गर्दिश नहीं रखना
हुनर है हाथ में तो सोच के कारीगरी करना
न मिल के गा सकें ऐसी कोई बंदिश नहीं रखना
न समझे प्रेम की भाषा भले सब ग्रन्थ पढ़ डाले
खुदा ये दानिशी है तो मुझे दानिश नहीं रखना
करो ना यूँ भरोसा आजमा के देख को पहले
भरोसा कर लिया तो शक की गुंजाइश नही रखना
२२ अगस्त २०११
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