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अनुभूति में दिगंबर नासवा की
रचनाएँ -

गीतों में-
आशा का घोड़ा
क्या मिला सचमुच शिखर
घास उगी
चिलचिलाती धूप है

पलाश की खट्टी कली

अंजुमन में-
आँखें चार नहीं कर पाता
प्यासी दो साँसें
धूप पीली
सफ़र में
हसीन हादसे का शिकार

संकलन में-
मेरा भारत- हाथ वीणा नहीं तलवार
देश हमारा- आज प्रतिदिन
शुभ दीपावली- इस बार दिवाली पर

 

हसीन हादसे का शिकार

इक हसीन हादसे का वो शिकार है
कह रहे हैं लोग सब की वो बिमार है

दिल की इस तड़प का हो रहा है कुछ असर
आ रहा है वो के जिस का इंतेज़ार है

शाल ओढ़ के ज़मीं पे चाँद आ गया
आज हुस्न पर तेरे ग़ज़ब निखार है

जल तरंग बज रही है खिल रही हिना
वादियों में गुनगुना रहा ये प्यार है

हर कली नदी फ़िज़ा बहार कह रही
कायनात का ये कौन चित्रकार है

चाँद की शरारतों का देख लो असर
बिन पिए नशा है छा रहा खुमार है

तू ही तू, है तू ही तू, है तू ही हर कहीं
जिस्मों जाँ पे अब तेरा ही इख्तियार है

२२ अगस्त २०११

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