अनुभूति में
दिगंबर नासवा की
रचनाएँ -
गीतों में-
आशा का घोड़ा
क्या मिला सचमुच शिखर
घास उगी
चिलचिलाती धूप है
पलाश की खट्टी
कली
अंजुमन में-
आँखें चार नहीं कर पाता
प्यासी दो साँसें
धूप पीली
सफ़र में
हसीन हादसे का शिकार
संकलन में-
मेरा भारत-
हाथ वीणा नहीं तलवार
देश हमारा-
आज प्रतिदिन
शुभ दीपावली-
इस बार दिवाली पर
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पलाश की खट्टी कली
खिल उठी
पलाश की खट्टी कली
जेठ मौसम आ गया
अब लू चली
दिन बड़े औ’ रात छोटी हो गई
चिपचिपाते नींद खोटी हो गई
धूप सुबह छै बजे
तीखी मिली
तर पसीने से पथिक होने लगे
देख छाया पेड़ की सोने लगे
धूल मिट्टी आग सी
झरने लगी
प्यास के मारे परिंदे क्या करें
चेतना खोने लगी मन में डरें
त्राहि माम त्राहि माम
खलबली
नीम की छाया में दो साए मिले
स्वप्न संजोए मिले, खोए मिले
दोपहर में दो बजे
सूनी गली
२४ सितंबर २०१२
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