इस बार दिवाली पर ना जाने कौन जलेगा
दिया जलेगा या बाती या तेल जलेगा
या मेरा दिल कोने में चुपचाप जलेगा
इस बार दिवाली पर ना जाने कौन जलेगा
रंगोली जब मेरे आँगन सज जाएगी
लक्ष्मी मेरे द्वारे आ कर रुक जाएगी
मैं तो हूँ परदेस में टीका कौन करेगा
इस बार दिवाली पर ना जाने कौन जलेगा
खुशियाँ तो आएगी मेरे दरवाज़े भी
गूँजेंगे घर में मेरे गाजेबाजे भी
पर मेरे घर गणपति पूजन कौन करेगा
इस बार दिवाली पर ना जाने कौन जलेगा
बैठी होंगी कहीं ढूँढ़ कर वो कोना
उसका दिल होगा जाने कितना सूना
देश में उसकी रीति गागर कौन भरेगा
इस बार दिवाली पर ना जाने कौन जलेगा
-दिगंबर नासवा
२४ अक्तूबर २००६
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