अनुभूति में
दिगंबर नासवा की
रचनाएँ -
गीतों में-
आशा का घोड़ा
क्या मिला सचमुच शिखर
घास उगी
चिलचिलाती धूप है
पलाश की खट्टी
कली
अंजुमन में-
आँखें चार नहीं कर पाता
प्यासी दो साँसें
धूप पीली
सफ़र में
हसीन हादसे का शिकार
संकलन में-
मेरा भारत-
हाथ वीणा नहीं तलवार
देश हमारा-
आज प्रतिदिन
शुभ दीपावली-
इस बार दिवाली पर
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प्यासी दो
साँसें
प्यासी दो साँसें रहती हैं
नम सी दो आँखें रहती हैं
बरसों से अब इस आँगन में
उनकी कुछ यादें रहती हैं
चुभती हैं काँटों सा फिर वो
दिल में जो बातें रहती हैं
शहर गया है बेटा जबसे
किस्मत में रातें रहती हैं
दूर हुए तो जाना दिल में
कब से वो जानें रहती हैं
पत्थर मारा तो ये जाना
काँच के वो घर में रहती हैं
बचपन के किस्सों की जिन्नें
पीपल पे काहे रहती हैं
२२ अगस्त २०११
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