अनुभूति में
दिगंबर नासवा की
रचनाएँ -
छंदमुक्त में-
डरपोक
प्रगति
प्रश्न
बीसवीं सदी की वसीयत
रिश्ता
गीतों में-
आशा का घोड़ा
क्या मिला सचमुच शिखर
घास उगी
चिलचिलाती धूप है
पलाश की खट्टी
कली
अंजुमन में-
आँखें चार नहीं कर पाता
प्यासी दो साँसें
धूप पीली
सफ़र में
हसीन हादसे का शिकार
संकलन में-
मेरा भारत-
हाथ वीणा नहीं तलवार
देश हमारा-
आज प्रतिदिन
शुभ दीपावली-
इस बार दिवाली पर
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प्रगति
कुछ नहीं बदला
टूटा फर्श
छिली दीवारें
चरमराते दरवाजे
सिसकते बिस्तर
जिस्म की गंध में घुली
फ़र्नैल की खुश्बू
चालिस वाट की रोशनी में दमकते
पीले जर्जर शरीर
लंबी क़तारों से जूझता
चीखती चिल्लाती आवाज़ों के बीच
साँसों का खेल खेलता
पुराना
सरकारी अस्पताल का
जच्चा बच्चा
वार्ड नंबर दो
जहाँ मैंने भी कभी
पहली साँस ली
अस्पताल के बाहर
मुँह चिढ़ाता होर्डिंग
हमारा देश - प्रगति के पथ पर
१४ अप्रैल २०१४
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