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हर चाल ज़माने की
हर चाल ज़माने की मिट्टी में मिला देगी
जो आह उठी दिल से दुनिया को हिला देगी
है साँस अभी बाक़ी, कुछ और सितम ढाओ
दुनिया ये तुम्हें कोई इन्आम दिला देगी
काँटों से भरे रस्ते, काटे से नहीं कटते
मालूम न था हम को, नेकी ये सिला देगी
दिन बीत गये कितने कल-आज में ही ऐसे
कोई तो किरन होगी जो न्याय दिला देगी
दुनिया तो है फिर दुनिया, दुनिया ने किसे छोड़ा
कुछ बात बना देगी, गुल कोई खिला देगी
१ जुलाई २०१७
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