अगरचे मोहब्बत जो धोखा रही है
अगरचे मोहब्बत जो धोखा रही है
तो क्यों शमा इसकी हमेशा जली है
हमारे दिलों को वही अच्छे लगते
कि जिनके दिलों में मुहब्बत बसी है
मोहब्बत का दुश्मन ज़माना है लेकिन
सभी के दिलों में ये फूली फली है
बिठाते थे सबको ज़मीं पर जो ज़ालिम
वो हस्ती भी देखो ज़मीं में दबी है
सभी कीमतें आसमाँ चढ़ रहीं जब
तो इंसां की कीमत ज़मीं पे गिरी है
हो सच्ची लगन और इरादे जवाँ हों
तो मंज़िल हमेशा कदम पर झुकी है
ज़माने की चाहा था सूरत बदलना
मगर अपनी सूरत बदलनी पड़ी है
24 दिसंबर 2007
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