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अनुभूति में अनूप कुमार की रचनाएँ

अंजुमन में-
अगरचे मुहब्बत जो धोखा रही है
आग
कहने पे चलोगे
गम ने दिखाए ऐसे रस्ते
दिल में गुबार
बड़ी मुश्किल-सी कोई बात
ये दुनिया

 

कहने पे चलोगे लोगों के
 

कहने पे चलोगे लोगों के हो सकते तुम्हारे काम नहीं
ये दुनियावाले इक पल भी देते हैं कभी आराम नहीं।

ये आज हमारे राहनुमा कठपुतली हैं दस्ते-मुन्इम की
ये बात तो यों जगजाहिर है मंज़ूर इन्हें इल्ज़ाम नहीं

यह दुनिया दौलतवालों की हर ऐश मयस्सर हैं इनको
पर मुफ़्लिस की हालत देखो सूखी रोटी तक दाम नहीं

इन ओहदेदारों के पीछे क्यों फिरते हों यों मारे-मारे
ये अपनी अना के दीवाने आते हैं किसी के काम नहीं

वो हमपे मेहरबाँ हैं शायद खुश हो के दिए कुछ दर्द हमें
सहने
के लिए जो ग़म हैं दिए वो ग़म भी तो कोई आम नहीं

नेकी के तो बंदे आज भी हैं गो कम हैं मगर कुछ हैं तो सही
माना
कि जहाँ में नाम नहीं ये कम तो नहीं, बदनाम नहीं

इंसान की हस्ती क्या हस्ती पर समझा है खुद को दानिश्वर
देता
है सभी कुछ अल्लाह ही लिखता है वो अपना नाम नहीं

24 दिसंबर 2007

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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