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आइना
जिस वक़्त मेरे सामने आता है आइना
सुनता है मेरी, अपनी सुनाता है आइना
सब को ही अपने सामने करता है बेनक़ाब
लेकिन न राज़ अपना बताता है आइना
नज़रों से दूसरों की, बचा ले गए तो क्या
कब झुर्रियाँ किसी की, छुपाता है आइना
पीछे से वार करता है दुश्मन अगर कभी
हर बार मेरी जान बचाता है आइना
‘अनजान’चूर होके भी कहता नहीं है झूठ
सच बात कहना मुझ को सिखाता है आइना
१ जुलाई २०१७
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