अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में अरुण तिवारी 'अनजान'  की रचनाएँ-

नई रचनाओं में-
अब इस तरह से मुझको
क्यों लोग मुहब्बत से
कुछ तो करो कमाल
नयन टेसू बहाते हैं
पहले से नहीं मिलते

अंजुमन में-
अगरचे मुहब्बत जो धोखा रही है
आग
कहने पे चलोगे
गम ने दिखाए ऐसे रस्ते
दिल में गुबार
बड़ी मुश्किल-सी कोई बात
ये दुनिया

 

कुछ तो करो कमाल

कुछ तो करो कमाल, नया साल आ गया।
मिट जायें सब मलाल, नया साल आ गया।

भूखा न कोई सोये, न प्यासा रहे कोई,
पड़ने न दो अकाल, नया साल आ गया।

ख़ुशहाल हो ये देश, हमारा सभी तरह,
हो जाये माला-माल, नया साल आ गया।

छायें घटायें चारों, तरफ़ आसमान में,
भर जायें सब ही ताल, नया साल आ गया।

दिल में न रंजिशें हों, रहें मिल के हम सभी,
कोई चलें न चाल, नया साल आ गया।

बहरी सियासतें हैं, तो अंधा है न्याय भी,
किस से करें सवाल, नया साल आ गया।

दंगे–फ़साद ख़ून–ख़राबे हैं हर तरफ़,
अब अम्न हो बहाल, नया साल आ गया।

१० जून २०१३

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter