नए साल के दोहे
विपदा से हारा नहीं झेला उसे सहर्ष
तूफ़ानों को पार कर पहुँचा है नववर्ष
नभ मौसम सागर सभी करें कृपा करतार
जंग और आतंक की पड़े कभी ना मार
बागों में खिलते रहें इंद्रधनुष के रंग
घर घर में बसता रहे खुशियों का मकरंद
मन में हो संवेदना तन में नव स्फूर्ति
अपनों में सदभावना जग में सुंदर कीर्ति
उन्नति का परचम उड़े ऐसा करें विकास
संस्कार की नींव पर जमा रहे विश्वास
साल नया गुलज़ार हो–मिटें सभी के दर्द
मेहनत से हम झाड़ दें गए साल की गर्द
अभिनंदन नव वर्ष का मंगलमय हो साल
ऋद्धि सिद्धि सुख संपदा सबसे रहें निहाल
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