बरसात के दिन
चली पवन अमृत रस लेके
पूर्व दिशा मे मारे झोंके
क्या धरणी पर टपक रहे हैं
नभ ने दिए है तोहफ़े जो ये
प्यारी कलियाँ महक रही हैं
सजने लगी पेड़ पर बेलें
बन में मोर मगन हो नाचे
घर उपवन में बाजें बाजे
जुगनू रात में करें उजारा
पवन सुहावन लगता प्यारा
मेढक की घुन प्यारी लागे
पशु प्राणी पुलकित हो जागे
-शंभुनाथ
बारिश में
कर ले तू इकरार झमाझम बारिश में
कर ले थोड़ा प्यार झमाझम बारिश में
जुगनू तारे चाँद झमाझम बारिश में
भीगें सारी रात झमाझम बारिश में
वीणा की झंकार झमाझम बारिश में
गूँजे सुर औ' ताल झमाझम बारिश में
बारिश में बारिश में यारां बारिश में
कर ले दिलकी बात झमाझम बारिश में
-कमल आशिक
27 अगस्त 2005
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