फागुन
मन
इंद्रधनुष तन
होली पे आज
उमड़ा
फिर
रंगों का सागर
पलकों नीचे
मलते
हम
प्यार का गुलाल
छूटे न कभी
---शैल अग्रवाल
--------------------------------------------------
राग
सुरंगी
छलके छल छल
झांझ चंग में
कोयल घोले
कुहुक कुहुक कर
टोना वन में
हरषे होली
अबरक केसर
और रंग में
राधा मोहन
रसमय फागुन
से आँगन में
चलो सखी री
प्रियतम के घर
वृंदावन में
---पूर्णिमा वर्मन
|