शिवबहादुर सिंह
भदौरिया
जन्म १५ जुलाई सन १९२३ को ग्राम
धन्नीपुर रायबरेली उत्तर प्रदेश में।
'हिंदी उपन्यास सृजन और प्रक्रिया' पर कानपुर विश्व विद्यालय
से पी एच डी की उपाधि।
कार्यक्षेत्र- प्रारंभ में कुछ दिन पुलिस विभाग में अपनी सेवा
अर्पित करने के बाद १९६७ से १९७२ तक वैसवारा स्नातकोत्तर
महाविद्यालय में हिंदी प्रवक्ता से लेकर विभागाध्यक्ष तक का पद
पर कार्य किया। वे महामहिम राज्यपाल द्वारा जिला परिषद,
रायबरेली के नामित सदस्य हैं। अनेक
पुरस्कारों से सम्मानित।
प्रमुख प्रकाशित कृतियाँ-
शिंजनी, पुरवा जो डोल गई, नदी का बहना मुझमें हो, लो इतना जो
गाया, माध्यम और भी।
निधन- ७ अगस्त २०१३ |
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अनुभूति में शिवबहादुर सिंह
भदौरिया की रचनाएँ-
नई रचनाओं में-
एक सवाल कि जीवन क्या है
कहा कि सबकी पीड़ा गाओ
कुहासे की शिलाएँ
जिंदगी कठिन तेवर तेरे
दुर्दिन महराज
पत्थर समय
पाँवों में वृन्दावन बाँधे
बैठ लें कुछ देर आओ
यही सिलसिला है
वटवृक्ष पारदर्शी
गीतों में-
इंद्रधनुष यादों ने ताने
जीकर देख लिया
टेढ़ी चाल जमाने की
नदी का बहना मुझमें हो
पुरवा जो डोल गई
मुक्तक में-
सब कुछ वैसे ही |