अनुभूति में
सौरभ पाण्डेय
की रचनाएँ-
नयी रचनाओं में-
आओ सारी बात करें हम
जो कर सके तो कर अभी
फगुनाए मन-मन
बारिश की धूप
साथ बादलों
का
क्षणिकाओं में-
शेल्फ पर किताबें
गीतों में-
अपना खेल अजूबा
आओ साथी बात करें हम
परंपरा और परिवार
पूछता है द्वार
रिस आया बाजार
संकलन में-
हौली है-
फागुन फागुन धूप
शुभ दीपावली-
तुम रंगोली भरो
विजय पर्व-
शक्ति पाँच शब्दरूप |
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बारिश की धूप
सूरज कर्कश चीखे दम भर
दिन बरसाती धूल दोपहर
उमस कोसती
दोपहरी की, बेबस आँखों का भर आना
अलमारी की हर चिट्ठी से बेसुध होकर फिर बतियाना
राह देखती क्यों उसकी
ये पगली साँकल
रह-रह हिल कर
चुप-चुप दिखती-सी
पलकों में कब से एक पता बसता है
जाने क्यों हर आनेवाला राह बताता-सा लगता है
पलकें राह लिये जीतीं हैं
बढ़ जाता
हर कोई सुनकर
गुच्ची-गड्ढे
उथले रिश्ते आपसदारी कीचड़-कीचड़
पेड़-पेड़ पर दीमक-बस्ती घाव हृदय के बेतुक बीहड़
बोझिल क्षण ले मन का बढ़ना
नम पगडंडी
सहम-बिदक कर
२७ अप्रैल २०१५ |