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अनुभूति में रामशंकर वर्मा की रचनाएँ-

नए गीतों में-
अरी व्यस्तता
फागुन को भंग
बाहर आओ
बूँदों के मनके
साहब तो साहब होता है

गीतों में-
एक कविता उसके नाम
तुम बिन
यह अमृतजल है
सखि रंग प्रीत के डाल
साथी कभी उदास न होना

 

 

तुम बिन

तुम बिन
दिन कुछ ऐसे बीते
सुबह  हुई  सूरज  उदास  था
और धूप की आँखें नम थीं
गुमसुम खोये रहे पखेरू
पेड़ों पर भी
हलचल कम थी
सूनी रही गैल मधुवन की
उर पनघट प्रेमिल-घट रीते


मौन
रहीं सागर की लहरें
गीत  विरह मांझी ने गाए
उन्मन साँझ क्षितिज से उतरी
गिरि-शिखरों पर कदम बढ़ाये
विकल रहा
मन पथिक अहर्निश
स्मृतियों का मधु-रस पीते

२५ जून २०१२

 

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