अनुभूति में रामशंकर
वर्मा की रचनाएँ-
नए गीतों में-
अरी व्यस्तता
फागुन को भंग
बाहर आओ
बूँदों के मनके
साहब तो साहब होता है
गीतों में-
एक कविता उसके नाम
तुम बिन
यह अमृतजल है
सखि रंग प्रीत के डाल
साथी कभी उदास न होना
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साथी कभी उदास न होना
साथी
कभी उदास न होना
भूलभुलैया-सा
ये जीवन, राहें इक अनबूझ पहेली
इनके चक्रव्यूह में फँस कर, मत खोना
खुशियाँ अलबेली
मन की
सुन्दर फुलवारी में आशाओं के दाने बोना
साथी कभी उदास न होना
हो सकता है
सूरज आए, लेकर कभी उदास सवेरा,
या फिर साँझ अनमनी बेकल
उर-कुटीर में डाले डेरा
यादों की
मंजुल माला में मुस्कानों के फूल पिरोना
साथी कभी उदास न
होना
प्रेमपंथ का
मीत सलोना, कुटिल काल के कारण छूटे
चाहत का सुन्दरवन उजड़े,
सुख सपनों पर बिजली टूटे
अपनों की
सुन कर विष-बतियाँ मत पलकों की कोर भिगोना
साथी कभी उदास न होना
२५ जून २०१२ |