अनुभूति में रामशंकर
वर्मा की रचनाएँ-
नए गीतों में-
अरी व्यस्तता
फागुन को भंग
बाहर आओ
बूँदों के मनके
साहब तो साहब होता है
गीतों में-
एक कविता उसके नाम
तुम बिन
यह अमृतजल है
सखि रंग प्रीत के डाल
साथी कभी उदास न होना
|
|
सखि रंग प्रीत के डाल
सखि! रंग प्रीत के डाल
चार दिन फागुन के
ऋतु बसंत वन-उपवन महके
प्रेम-अगन से टेसू दहके
झुकी लजीली डाल
चार दिन फागुन के
सखि! रंग प्रीत के डाल
चार दिन फागुन के
सगरी दिशा भई मतवारी
पहिने पवन कुसुम रंग सारी
मदिर-मदिर सी चाल
चार दिन फागुन के
सखि! रंग प्रीत के डाल
चार दिन फागुन के
अमराई में झूमर लटके
महुवन भोर नेह-रस टपके
तन-मन हुआ गुलाल
चार दिन फागुन के
सखि! रंग प्रीत के डाल
चार दिन फागुन के
शीतल मंद सुंगंध समीरे
आज मिलो सखि नदिया तीरे
गल बहियन की माल
चार दिन फागुन के
सखि! रंग प्रीत के डाल
चार दिन फागुन के
२५ जून २०१२ |