अनुभूति में रामशंकर
वर्मा की रचनाएँ-
नए गीतों में-
अरी व्यस्तता
फागुन को भंग
बाहर आओ
बूँदों के मनके
साहब तो साहब होता है
गीतों में-
एक कविता उसके नाम
तुम बिन
यह अमृतजल है
सखि रंग प्रीत के डाल
साथी कभी उदास न होना
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एक कविता उसके नाम
एक कविता उसके नाम
अनुप्राणित जिसकी मधु छवि से
मेरी काया के अंग-अंग
शैशव में ऊँगली थाम चला
डगमग जिसके मैं संग-संग
नतमस्तक जिसके पौरुष पर
ये दिवा, निशा, रूपसी शाम
एक कविता उसके नाम
वो श्रम-सरिता का भागीरथ
पुरुषारथ की पतवारों से
टकराता जीवन-नैया को
संघर्षों की जलधारों से
अविरल सिन्च स्वेद बिन्दुओं से
श्रम मूर्तिमंत होता ललाम
एक कविता उसके नाम
जिसने निज सृजन लेखनी से
वसुमति की कोरी पुस्तक पर
नित-नित नव-नव उत्साह भरे
विरचे नव कोंपल-से अक्षर
फसलों की रसमय कविता से
जिसने गुंजाया धरा धाम
एक कविता उसके नाम
स्पर्श हेतु पद रज मलयज
जिसकी मेड़ों के तृण नत-शिर
आतुर आकुल निरखें पल-पल
दृग बिंदु ओस के झर-झर-झर
साक्षी जिसकी श्रमचर्या के
पावस फुहार ये शीत घाम
एक कविता उसके नाम
विधिना भी लिखने को
ललाट पर भूल भाग्य की रेख गये
जिसके सपनों के शीशमहल
भूलुंठित बार अनेक भये
कुसमय के शिला प्रहारों से
अविचल साधक वह नित्यकाम
एक कविता उसके नाम
वह पूज्यपाद! प्रातः वन्दित
मेरे उद्भव का सूत्रधार
उत्साह उमंगों का वाहक
बहता बन जीवन रक्तधार
देखी उसमे छवियाँ मैंने
ईश्वर की नयनाभिराम
एक कविता उसके नाम
२५ जून २०१२ |