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अनुभूति में राजेन्द्र वर्मा की
रचनाएँ-

नये गीतों में-
कागज की नाव
कैसा यह जीवन
जादूगरनी
मेरे बस का नहीं
सच की कौन सुने

अंजुमन में-
प्रार्थना ही प्रार्थना
प्रेम का पुष्प
माँ गुनगुनाती है
सत्य निष्ठा के सतत अभ्यास
हम निकटतम हुए

गीतों में-

आँसुओं का कौन ग्राहक
करें तो क्या करें
दिल्ली का ढब
बेच रहा हूँ चने कुरमुरे
बैताल
रौशन बहुत माहौल

दोहों में-
खनक उठी तलवार

 

सच की कौन सुने

कौआ रोर मची पंचों में
सच की कौन सुने?

लाठी की ताक़त को बापू
समझ नहीं पाये
गए गवाही देने
वापस कन्धों पर आये
दुश्मन जीवित देख दुश्मनी
फुला रही नथुने!

बेटे को खतरा था
किन्तु सुरक्षा नहीं मिली
अम्मा दौड़ीं बहुत
व्यवस्था लेकिन नहीं हिली
कुलदीपक बुझ गया
न्याय की देवी शीश धुने!

सत्य-अहिंसा के प्राणों को
पड़े हुए लाले
झूठ और हिंसा सत्ता के
गलबहियाँ डाले
सत्तासीन गोडसे हैं
गाँधी को कौन गुने?

६ जुलाई २०१५

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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