अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में ओम प्रकाश तिवारी की रचनाएँ-

नई रचनाओं में-
कटवा कर नाखून
जन गण मन की बात न कर
दामिनी
परजा झेले आपद्काल
मोहताज रिसाले

गीतों में-
अब सावन ऐसे आता है
अरे रे रे बादल
अखबारों में
कर्फ्यू में है ढील
कहानी परियों की
कुम्हड़ा लौकी नहीं चढ़ रहे
गाली देना है अपना अधिकार
चाहे जितने चैनल बदलो
न्याय चाहिये
बूँद बनी अभिशाप

राजपथ पर
रुपैया रोता है
हम कैसे मानें

कुंडलियों में-
पाँच चुनावी कुंडलियाँ

आज के नेता और चुनाव

अंजुमन में-
ख़यालों में

 

जन गण मन की बात न कर

जन गण मन की बात न कर
तू बस अपनी जेबें भर

तेरी ख़ातिर देश पड़ा
चारागाह समझकर चर

अपना था तू कल तक तो
आज निकल आए हैं पर

हमको भूखा रहने दे
ब्रेड के संग तू चाट बटर

याद आती अंग्रेजों की
वह भी थे तुझसे बेहतर

जनप्रतिनिधि कहलाए तू
तुझसे जन काँपें थर-थर

आज बन गया राजा तू
घूम रहा था कल दर-दर

दवा न तेरे काटे की
शरमाएँ तुझसे विषधर

तेवर बदल रही जनता 
मौका है तू जल्द सुधर

नीचे तेरी चलती है
ऊपर वाले से तो डर

१३ जुलाई २०१५

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter