अनुभूति में
ओम प्रकाश तिवारी
की रचनाएँ-
नई रचनाओं में-
अखबारों में
कहानी परियों की
राजपथ पर
रुपैया रोता है
हम कैसे मानें
गीतों में-
अब सावन ऐसे आता है
अरे रे रे बादल
कर्फ्यू में है ढील
कुम्हड़ा लौकी नहीं चढ़ रहे
गाली देना है अपना अधिकार
चाहे जितने चैनल बदलो
न्याय चाहिये
बूँद बनी अभिशाप
कुंडलियों में-
पाँच चुनावी कुंडलियाँ
आज के नेता और चुनाव
अंजुमन में-
ख़यालों में
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राजपथ पर
राजपथ पर
कंटकों की क्यारियाँ हैं
।
खूबसूरत
स्वप्न सा चरितार्थ है
किंतु इसका गूढ़ कुछ
निहितार्थ है
चल सँभलकर
राह में दुश्वारियाँ हैं
।
सुख नहीं
सत्ता सदा विषपान है
जो इसे हल्के से ले
नादान है
विवादों से
इसकी पक्की यारियाँ हैं
।
तुमको जो
कहना था वो तुम कह चुके
जो किले मुश्किल थे
वो भी ढह चुके
अब नया
गढ़ने की जिम्मेदारियाँ हैं
।
जो सगे
उनसे भी है प्रतिद्वंद्विता
रेस में शामिल जिन्हें
कहते पिता
लोग तकते
अपनी-अपनी बारियाँ हैं
२ जून २०१४
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