अनुभूति में
ओम प्रकाश तिवारी
की रचनाएँ
नई रचनाओं में-
कर्फ्यू में है ढील
कुम्हड़ा लौकी नहीं चढ़ रहे
गाली देना है अपना अधिकार
चाहे जितने चैनल बदलो
न्याय चाहिये
गीतों में-
अब सावन ऐसे आता है
अरे रे रे बादल
बूँद बनी अभिशाप
कुंडलियों में-
पाँच चुनावी कुंडलियाँ
अंजुमन में-
ख़यालों में
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अरे रे रे रे बादल
अरे रे रे रे बादल!
ठहर जा रे दो पल!!
हुई बावरी जो मैं
निकली निशा में,
दिशाएँ ही छेड़ें तो
छिपूँ किस दिशा में
हुई रे मैं तो पागल!
लुभाती थीं मन को
जो शीतल हवाएँ,
कहूँ सच वही आज
तेवर दिखाएँ
उड़े रे मेरा आँचल!
रुके न कदम ये
जो प्रियतम पुकारें,
बनी आज सौतन
ये रिमझिम फुहारें
बहे रे मेरा काजल।
१ अगस्त २००६
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