अनुभूति में
ओम प्रकाश तिवारी
की रचनाएँ-
नई रचनाओं में-
अखबारों में
कहानी परियों की
राजपथ पर
रुपैया रोता है
हम कैसे मानें
गीतों में-
अब सावन ऐसे आता है
अरे रे रे बादल
कर्फ्यू में है ढील
कुम्हड़ा लौकी नहीं चढ़ रहे
गाली देना है अपना अधिकार
चाहे जितने चैनल बदलो
न्याय चाहिये
बूँद बनी अभिशाप
कुंडलियों में-
पाँच चुनावी कुंडलियाँ
आज के नेता और चुनाव
अंजुमन में-
ख़यालों में
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कहानी परियों की
बिटिया सुनती नहीं
कहानी परियों की
गुड़िया से न प्यार
न उसके दूल्हे से
न कोई अनुराग है
चकिया-चूल्हे से
बाद जनम के
कितने सावन बीत गए
कभी न देखा
उसे झूलते झूले से
करती है वह बात
उड़नतश्तरियों की
पढ़ती है लिखती है
कॉलेज जाती है
कम्प्यूटर पर
उँगली तेज चलाती है
दादी माँ की सभी
हिदायत सुन-सुन कर
हौले से जा पास
उन्हें समझाती है
अर्जी देती
बड़ी-बड़ी नौकरियों की
है उसमें विश्वास
गगन छू लेने का
खुद होकर मजबूत
बहुत कुछ देने का
तूफानों में भी
कश्ती फँस जाए तो
अपने दम पर
साहिल तक खे लेने का
है मोहताज
नहीं बेटी देहरियों की
२ जून २०१४
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