अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में मृदुल शर्मा की रचनाएँ-

नए गीतों में-
कड़ी धूप में
कुछ भी बदला नहीं
राजा रहा नचा
सोनकली

गीतों में-
आँख दिखाई है
कठिन समय है
किसी की याद आई
खत मिला
गीत छौने
जोड़ियों को तो बनाता है सदा रब
दूर ही रहो मिट्ठू

पितृपक्ष में
भूल की
यह मत पूछो
रस्मी प्रणाम से

संकलन में-
तुम्हें नमन- क्षमा बापू


 

 

किसी की याद आई

देख कर बादल! तुम्हें
बरबस किसी की याद आयी
खूब आये,
पवन रथ पर ठसक से
घिरे-घुमड़े और गरजे तुम
मगर बरसे नहीं
मोर, दादुर और चातक
हों भले अनपढ़
मगर सब जानते पहचानते हैं ये
तभी हरषे नहीं

निरे वादे और कसमें, पर सभी झूठे,
स्वजन बन बेवफाई

व्रत लिया था
सजल करने को धरा यह
सिन्धु से लेकर चले जल
किन्तु भटके राह में
चन्द छींटे बस गिरा कर
शेष जल खुद पी लिया है
छोड़ सबको,
बिजलियों की छाँह में

इन धरा के जोकरों से
सीख ली तुमने कदाचित बेहयाई

२५ फरवरी २०१३

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter