अनुभूति में
मृदुल शर्मा की रचनाएँ-
नए गीतों में-
कड़ी धूप में
कुछ भी बदला नहीं
राजा रहा नचा
सोनकली
गीतों में-
आँख दिखाई है
कठिन समय है
किसी की याद आई
खत मिला
गीत छौने
जोड़ियों को तो बनाता है सदा रब
दूर ही रहो मिट्ठू
पितृपक्ष में
भूल की
यह मत
पूछो
रस्मी प्रणाम से
संकलन में-
तुम्हें नमन-
क्षमा बापू
|
|
गीत छौने
बैठने देते नही सुख-चैन से
ये गीत-छौने
आग्रही आर्त
गंध व्यापी घाटियों में
खींच ले जाते अचानक
हाथ में दे प्रीति-पोथी
बैठ जाते सामने ये
और पढ़वाते कथानक
हम हुए हैं हाथ इनके
चाभियों वाले खिलौने
खींच लाते विसंगतियाँ
सामने ये
और बरबस डाल देते हैं झमेले में
फूटते बम की तरह अंतःकरण में
हो भले ही भीड़ में
अथवा अकेले में
हठ पकड़ते फोड़ भांडा
खेल हैं जिनके घिनौने
शीश पर अपने धरे अमृत कलश
ये घूमते हैं
अति-अप्रिय इनको कलुष है
दृष्टि में छोटे कभी
राजा भगीरथ
तो निशाने पर कभी
भोगी नहुष हैं
पोतते कालिख
किसी के मुख लगाते हैं दिठौने
८ अप्रैल २०१३
|