कौन सुनता है
तुम्हारी बात अब
कौन सुनता है तुम्हारी बात अब
कर सको तो स्वयं से बातें करो।
तुम करो आक्रोश लेकिन आप पर
दूसरों पर क्रोध करना छोड़ दो।
ये समय है आपका बस आपका
कर सको उपयोग इसका तुम करो।
आप क्या हैं जानते हैं आप बस
दूसरों की आस करना छोड़ दो।
प्यार करते हो करो पर आपसे
दूसरों का प्यार केवल भ्रम तुम्हारा।
स्वार्थ की आँखों में देखो झाँककर
समझ लोगे कौन अपना या पराया।
आपका है कौन पहचानो इसे
समझ के रथ को ज़रा-सा मोड़ दो।
१६ फरवरी २००९ |