अनुबंध
सांस से मैंने किया
अनुबंध जब
स्वप्न आँखों में
नए बसने लगे।
ज़िंदगी को अर्थ
मन को प्यार की भाषा मिली
तन को सुंदरता
संबंधों को परिभाषा मिली
ज्ञान से मैंने किया
अनुबंध जब
प्रश्न आकर
नित नये डसने लगे
उम्र की दहलीज
अनुभव की कहानी कह गई
दोस्तों के हाथ
छालों की निशानी रह गई
अश्क से मैंने किया
अनुबंध जब
दर्द आकर नित
नये सजने लगे
१६ जुलाई २००६ |