अनुभूति में
दिनेश सिंह की रचनाएँ-
नई रचनाओं में-
अकेला रह गया
चलो देखें
नाव का दर्द
प्रश्न यह है
भूल गए
मैं फिर से गाऊँगा
मौसम का आखिरी शिकार
गीतों में-
आ गए पंछी
गीत की संवेदना
चलती रहती साँस
दिन घटेंगे
दिन की चिड़िया
दुख के नए तरीके
दुख से सुख का रिश्ता
नए नमूने
फिर कली की ओर
लो वही हुआ
साँझ ढले
हम देहरी दरवाजे
संकलन में-
फूले फूल कदंब-
फिर कदंब फूले
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फिर कली की
ओर
हम यहाँ हैं
तुम वहाँ हो
और उलझी कहीं पीछे डोर
फूल कोई लौट जाना चाहता है,
फिर, कली की ओर!
इस तरह भी कहीं होता है?
इस तरह तो नहीं होता है
सिर्फ होता है वही, जो सामने है,
पीठ पीछे कौन होता है?
पीठ पीछे
सामने के बीच हम केवल
बहुत कमजोर!
फूल कोई लौट जाना चाहता है,
फिर, कली की ओर!
मुश्किलों की याद आती है
यात्रा तो भूल जाती है
भूलने की बात भी तो भूलती है,
भूल ही सब कुछ भुलाती है
जो भुलाये
भूल जाये ज़िन्दगी को
वही सीनाजोर!
फूल कोई लौट जाना चाहता है,
फिर, कली की ओर!
८ अगस्त २०११ |