अनुभूति में
दिनेश सिंह की रचनाएँ-
नई रचनाओं में-
अकेला रह गया
चलो देखें
नाव का दर्द
प्रश्न यह है
भूल गए
मैं फिर से गाऊँगा
मौसम का आखिरी शिकार
गीतों में-
आ गए पंछी
गीत की संवेदना
चलती रहती साँस
दिन घटेंगे
दिन की चिड़िया
दुख के नए तरीके
दुख से सुख का रिश्ता
नए नमूने
फिर कली की ओर
लो वही हुआ
साँझ ढले
हम देहरी दरवाजे
संकलन में-
फूले फूल कदंब-
फिर कदंब फूले
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गीत की संवेदना
गीत की संवेदना है अनमनी
तुम लौट जाओ
प्यार के संसार से मायाधनी
यह प्रेम वह व्यवहार है
जो जीत माने हार को
तलवार की भी धार पर
चलना सिखा दे यार को
हो जाए पूरी चेतना
इस पंथ की अनुगामिनी
चितवन यहां भाषा
रुधिर में धड़कनों के छंद है
आचार की सब संहिताएँ
मुक्ति की पाबंद है
जीवन-मरण के साथ खेले
चन्द्रमा की चाँदनी
धन-धान्य का वैभव अकिंचन
शक्ति की निस्सारता
जीवन-प्रणेता वही
जो विरहाग्नि में है जारता
इस अगम गति की चाल में
भूचाल की है रागिनी।
१४ फरवरी २०११
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