अनुभूति में
दिनेश सिंह की रचनाएँ-
नई रचनाओं में-
अकेला रह गया
चलो देखें
नाव का दर्द
प्रश्न यह है
भूल गए
मैं फिर से गाऊँगा
मौसम का आखिरी शिकार
गीतों में-
आ गए पंछी
गीत की संवेदना
चलती रहती साँस
दिन घटेंगे
दिन की चिड़िया
दुख के नए तरीके
दुख से सुख का रिश्ता
नए नमूने
फिर कली की ओर
लो वही हुआ
साँझ ढले
हम देहरी दरवाजे
संकलन में-
फूले फूल कदंब-
फिर कदंब फूले
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मैं फिर से
गाऊँगा
मैं फिर से
गाऊँगा बचपना बुलाऊँगा
घिसटूगा घुटनों के बल आँगन से चलकर
लौट -पौट आँगन में आऊँगा
मैं फिर से गाऊँगा!
कोई आये
सफेद हाथी पर चढकर
मेरी तरुणाई के द्वारे
किल्कूँगा
देखूँगा एक सूँड, चार पाँव
वह शरीर दाँत दो बगारे
मैं खुद में
घोड़ा बन जाऊँगा
हाथी और घोड़े के बीच
फर्क ढूढूँगा
लेकिन मैं ढूँढ कहाँ पाउँगा
मैं फिर से गाऊँगा !
पोखर में पानी है
पानी में मछ्ली है
मछली के होठों में प्यास है
मेरे भीतर
कोई जिंदगी की फूल कोई
या कोई टूटा विश्वास है
कागज की नाव
फिर बनाऊँगा
पोखर में नाव कहाँ जायेगी
लेकिन कुछ दूर तो चलाऊँगा
मैं फिर से गाऊँगा!
राजा की फुलवारी में
घुस कर चार फूल
लुक छिप कर तोडूँगा
माली के हाथों पड़कर
जाने जो गति हो
मुठ्ठी के फूल कहाँ छोडूँगा
फूल नहीं तितलियाँ फँसाऊँगा
भागेगी जहाँ -जहाँ भागूँगा
माली के हाथ नहीं आऊँगा
मैं फिर से गाऊँगा!
९ जुलाई २०११
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