अनुभूति में
दिनेश सिंह की रचनाएँ-
नई रचनाओं में-
अकेला रह गया
चलो देखें
नाव का दर्द
प्रश्न यह है
भूल गए
मैं फिर से गाऊँगा
मौसम का आखिरी शिकार
गीतों में-
आ गए पंछी
गीत की संवेदना
चलती रहती साँस
दिन घटेंगे
दिन की चिड़िया
दुख के नए तरीके
दुख से सुख का रिश्ता
नए नमूने
फिर कली की ओर
लो वही हुआ
साँझ ढले
हम देहरी दरवाजे
संकलन में-
फूले फूल कदंब-
फिर कदंब फूले
संकलन में-
फूले फूल कदंब-
फिर कदंब फूले
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नाव का दर्द
मैं नैया
मेरी क़िस्मत में
लिक्खे हैं दो कूल-किनारे
पार उतारूँ
मैं सबको
मुझको ना कोई पार उतारे
जीवन की संगिनी बनी है
बहती नदिया - बहता पानी
क्या मज़ाल जो धार गह सकूँ
संग-संग बह लूँ मनमानी
कोई इस तट
बना खेवइया
उस तट कोई खड़ा पुकारे
उल्टी-सीधी लहरों से
लड़ने-भिड़ने की नियति मिल गई
सख्त थपेड़ों की मारों से
कनपटियों की चूल हिल गई
औघट घाट लगे
तो जुटकर
छेद गिन रहे लाकड़हारे
मेरी राह धरें पानी पर
उठती-गिरती वे पतवारें
जिनको ख़ुद का पता नहीं
रह-रहकर इधर-उधर मुँह मारें
गैरों के हाथों
कठपुतली-सा
जो नाचें उठ भिनसारे
मैं नैया
मेरी क़िस्मत में
लिक्खे हैं दो कूल-किनारे
९ जुलाई २०११
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