अनुभूति में
दिनेश सिंह की रचनाएँ-
नई रचनाओं में-
अकेला रह गया
चलो देखें
नाव का दर्द
प्रश्न यह है
भूल गए
मैं फिर से गाऊँगा
मौसम का आखिरी शिकार
गीतों में-
आ गए पंछी
गीत की संवेदना
चलती रहती साँस
दिन घटेंगे
दिन की चिड़िया
दुख के नए तरीके
दुख से सुख का रिश्ता
नए नमूने
फिर कली की ओर
लो वही हुआ
साँझ ढले
हम देहरी दरवाजे
संकलन में-
फूले फूल कदंब-
फिर कदंब फूले
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आ गए पंछी
आ गए पंछी
नदी को पार कर
इधर की रंगीनियों से प्यार कर
उधर का सपना
उधर ही छोड आए
हमेशा के वास्ते
मुँह मोड आए
रास्तों को
हर तरह तैयार कर
इस किनारे
पंख अपने धो लिये
नये सपने
उड़ानों में बो लिये
नये पहने
फटे वस्त्र उतारकर
नाम बस्ती के
खुला मैदान है
जंगलों का
एक नखलिस्तान है
नाचते सब
अंग-अंग उघार कर।
१४ फरवरी २०११
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