अनुभूति में
रामकृष्ण द्विवेदी 'मधुकर'
की रचनाएँ—
अंजुमन में-
उफनाए नद की कश्ती
बढ़ाया प्रेम क्यों इतना
शिक्षा का संधान चाहिये
गीतों में-
बादल गीत
मोर पिया अब मुझसे रीझे
छंदमुक्त में—
किरन
जलकोश
जीवन सूक्त
दृष्टि
देखा है
नारी
प्रभात: दो रंग
पाँच छोटी कविताएँ
बुलबुला
साम्यावस्था
सावन
संकलन में-
हुए क्यों पलाश रंग रंगत विहीन
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सावन
टुकुर देख श्यामल घूँघट से
चपला झांके
हरित रंग विह्वल तन–मन
कजरी गाके
गरजें घन बरसें झम–झम
मदमस्ती में
हूक उठाएँ अगन लगाएँ ये
हिय बस्ती में
झूमें सारस गाएँ नाचें कोयल
मोर पपीहा
साजन दूर लगा सवन अब
व्याकुल जीया
मेघ मल्हार राग सुन बादल
छोडें. फुहार
मदन अरि के तीर चल रहे
उटता ज्वार
इन्द्रधनुष सरगम के स्वर
संगीत झरे
हंसों के दल मानसरोवर में
मुक्ता बिखरे
सावन आया नहीं कहीं शायद
मेरे दृग में
बदली छाई नहीं गगन पर
मेरे मन में
उफने सर सरिताएँ ये मेरे
दृग जल से
रंग चुराया बादल ने आँखों के
काजल में से
१ अगस्त २००६
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