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अनुभूति में रामकृष्ण द्विवेदी 'मधुकर' की रचनाएँ—

अंजुमन में-
उफनाए नद की कश्ती
बढ़ाया प्रेम क्यों इतना

शिक्षा का संधान चाहिये

गीतों में-
बादल गीत

मोर पिया अब मुझसे रीझे

छंदमुक्त में—
किरन
जलकोश
जीवन सूक्त
दृष्टि
देखा है
नारी
प्रभात: दो रंग
पाँच छोटी कविताएँ
बुलबुला
साम्यावस्था
सावन

संकलन में-
हुए क्यों पलाश रंग रंगत विहीन

 

प्रभात दो रंग
 
एक

नूतन रवि कलरव की ध्वनि
खिले कमल
अरुण रंग मादक पुरवाई
मचले मन
पनिहारिन अधजाग्रत तन
उड़े वसन
अल्हड़पन चंचल चितवन
बहके क्षण
नव यौवन अक्षत बचपन
फैला अंजन
रसी पवन खेले रह–रह के
आँचल संग
घन श्यामल केश उड़े मुख ज्यों
द्युति दामिनि
फैली प्रथम किरन जगती पर
बाँटे जीवन

दो

आईं किरणें बुला रही हैं उठो
सबेरा आया
अभी धरा से तमस पुरातन
मिट न पाया
मेरे भीतर है प्रकाश जो वह
सब तुमसे
भर दो तुम अब निज प्रकाश
मेरे मन में
जग शोभित स्पंदित कण–कण
जड़ चेतन
झाँको बाहर चेतना बुलाती है
हे प्रियजन
पथ कहता है लक्ष्य अधूरा है
पथिक श्रेष्ठ
थाम तर्जनी बढ़ो निरंतर हो
कर सचेष्ट

१ अगस्त २००६

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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