अनुभूति में
रामकृष्ण द्विवेदी 'मधुकर'
की रचनाएँ—
अंजुमन में-
उफनाए नद की कश्ती
बढ़ाया प्रेम क्यों इतना
शिक्षा का संधान चाहिये
गीतों में-
बादल गीत
मोर पिया अब मुझसे रीझे
छंदमुक्त में—
किरन
जलकोश
जीवन सूक्त
दृष्टि
देखा है
नारी
प्रभात: दो रंग
पाँच छोटी कविताएँ
बुलबुला
साम्यावस्था
सावन
संकलन में-
हुए क्यों पलाश रंग रंगत विहीन
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एक ग़ज़ल
बढ़ाया प्रेम क्यों इतना न जब इसको निभाना था
दिलों के तार क्यों जोड़े इन्हें जब तोड़ जाना था
खिले मेरे चमन में क्यों सुगंधित फूल बनकर के
हवाओं के थपेड़ों से जो तुमको सूख जाना था
समंदर की तरंगों में फिर इतना जोश क्यों आया
मिला कर हाथ दो पल में जो तुमको दूर जाना था
तुम्हारी शोख सी नज़रें मुझे महफ़िल में क्यों लाईं
मेरे आने पर जब तुमको मुझी से मुंह छिपाना था
दिया क्यों तुमने फिर मुझको सहारा अपने आँचल का
अधूरी राह में हमदम तुम्हें जब रूठ जाना था
१६ मार्च २००६
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